महात्मा गांधी का जीवन और संघर्ष के तरीके आज भी लोगों को प्रभावित करते हैं (gandhi ji ki jivani) किसी भी व्यक्ति का महान होने का तब एहसास होता है जब उनके जीवन लोगों के ऊपर बेहतर प्रेरित करता है महात्मा गांधी जी का जीवन भी कुछ ऐसा ही रहा है जो दूसरे लोगों को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है महात्मा गांधी की मृत्यु के दशकों बाद उनके बारे में पढ़ने के बाद लोग अपने जीवन को बेहतर बनाने में प्रयत्न करते रहते हैं आज हम इस लेख में महात्मा गांधी का जीवन उनके द्वारा किए गए आंदोलन उनका इतिहास और महात्मा गांधी का परिवार और शिक्षा के बारे में जानेंगे तो लेख को अंत तक जरूर पढ़ें
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था महात्मा गांधी एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता कार्यकर्ता थे और शक्तिशाली राजनीतिक नेता भी थे महात्मा गांधी ने भारत के ब्रिटिश शासको के खिलाफ स्वतंत्रता के लिए भारत से संघर्ष करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया आज भी देश महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के नाम से जानते हैं महात्मा गांधी ने भारत के कई गरीब लोगों को जीवन में सुधार किया महात्मा गांधी का जन्मदिन हर साल गांधी जयंती के रूप में 2 अक्टूबर के दिन मनाया जाता है महात्मा गांधी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे (mahatma gandhi ki jivani)
महात्मा गांधी का प्रारंभिक जीवन (Gandhi ji ki jivani)
महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता जी का नाम पोटली बाई था महात्मा गांधी जी 13 साल की उम्र में अपनी शादी कस्तूरबा गांधी से की थी जो एक अरेंज मैरिज थी महात्मा गांधी के चार बेटे थे जिनका नाम हरिलाल मणिलाल रामदास देवदास था उन्होंने 1944 में अपनी मृत्यु तक अपने पति के सभी प्रयासों का समर्थन किया
महात्मा गांधी जी के पिता पश्चिमी ब्रिटिश भारत में एक छोटी सी रियासत की राजधानी पोरबंदर के दीवान द महात्मा गांधी अपने पिता की चौथी पत्नी पोटली बाई के पुत्र थे जो एक संपन्न वैष्णव परिवार से ताल्लुक रखती थी शुरुआती दिनों में वह श्रवण और हरिश्चंद्र की कहानी से बहुत प्रभावित थे और अपने जीवन का आदर्श मानते थे (mahatma gandhi ji ki jivani)
महात्मा गांधी जी की शिक्षा (Gandi ji ki Education)
जब महात्मा गांधी जी 9 साल के थे तब वे राजकोट के स्थानीय विद्यालय में गए अंकगणित इतिहास भूगोल और कई भाषाओं की मूल बातें सीखी 18 साल की उम्र में हुए राजकोट के एक हाई स्कूल में गए अपनी शादी की वजह से कम से कम 1 साल तक अपनी पढ़ाई बाधित राखी और बाद में उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की 1888 में गुजरात के भावनगर में शामिल दास कॉलेज में अपना दाखिला किया बाद में उनकी एक पारिवारिक मित्र मावशी दवे जोशी ने आगे की पढ़ाई यानी लंदन में कानून की पढ़ाई के लिए प्रेरित किया गांधी जी सांवलदास कॉलेज की पढ़ाई से संतुष्ट नहीं थे और वह लंदन के प्रस्ताव से उत्साहित हो गए और अपनी मां अपनी पत्नी को समझने में कामयाब रहे और मां शहर शराब और महिलाओं को कभी नहीं छोड़ेंगे ऐसा वादा करके वह लंदन चले गए
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महात्मा गांधी की दक्षिण अफ्रीका यात्रा (mahatma gandhi ji ki jivani)
मैयत 1893 में वकील के तौर पर काम करने के लिए दक्षिणी अफ्रीका गए वहां उन्हें नकली भेदभाव का सामना करना पड़ा जब वह प्रथम श्रेणी के टिकट होने के बावजूद ट्रेन के प्रथम श्रेणी के अपार्टमेंट से बाहर निकाल दिया गया क्योंकि केवल गोरे लोग ही आरक्षित टिकट ले सकते थे और किसी भी भारतीय या अश्वेत को प्रथम श्रेणी की यात्रा करने की अनुमति नहीं थी इस घटना पर उन पर गहरा असर पड़ा उन्होंने नस्ले भेदभाव के खिलाफ विरोध करने का फैसला किया उन्होंने आगे इस तरह की कई घटनाओं के साथी भारतीयों के साथ आम बात थी इन्हें अपमानजनक रूप से कुली कहा जाता था
22 में 1894 को गांधी जी ने नेपाल इंडियन कांग्रेस के स्थापना की और दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों को बेहतर बनाने के लिए कड़ी मेहनत करना शुरू कर दिया थोड़ी समय में गांधी जी दक्षिण अफ्रीका और भारतीय समुदायों के नेता बन गए ट्रूकॉलर प्राचीन भारतीय साहित्य मूल रूप से तमिल में लिखा गया और बाद में विभिन्न भाषाओं में उसको अनुवादित किया गया गांधी जी एक प्रसिद्ध पुस्तक से प्रभावित थे वे सत्याग्रह के विचार से भी प्रभावित थे सत्य के प्रति समर्पण द 1906 में उन्होंने अहिंसक विरोध प्रदर्शन किया दक्षिण अफ्रीका में अपने जीवन के 21 साल बीतने के बाद 1915 में भारत लौट आए और निसान थे उन्होंने भारत के अधिकारों की लड़ाई लड़ना शुरू किया और एक नेता के रूप में बदल गए
महात्मा गांधी की मृत्यु (Gandhi Ji ki Death)
मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने की थी गोडसे एक हिंदू राष्ट्रवादी हिंदू महासभा का सदस्य था उसने गांधी पर पाकिस्तान का पक्ष लेने का आरोप लगाया और अहिंसा के सिद्धांत का विरोध किया और बाद में मोहन चंद करमचंद गांधी की हत्या कर दी