Anant Chaudas Vrat Katha | अनंत चतुर्दशी व्रत कथा

अनंत चतुर्दशी का व्रत (Anant Chaudas Vrat Katha) भगवान श्री विष्णु को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान श्री विष्णु की पूजा करने से घर में सुख संबंधी आती है हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी व्रत का खास महत्व है इस दिन भगवान श्री विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा का विधान माना गया है

Anant Chaudas Vrat Katha
Anant Chaudas Vrat Katha

यह हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है इस साल अनंत चतुर्दशी का व्रत 17 सितंबर 2024 के दिन रखा जाएगा इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा का अंतिम दिन होता है और इसी दिन भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी के दिन गणेश महोत्सव का समापन किया जाता है और घरों में विराजित गणपति की प्रतिमा को धूमधाम से विदाई देकर उसका विसर्जन किया जाता है (anant bhagwan ki katha)

लोग अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत रखते हैं (Anant Chaudas Vrat Katha) भगवान श्री विष्णु की पूजा करते हैं और पूजा के दौरान भगवान विष्णु के चरणों में रक्षा सूत्र जिसे अनंत कहा जाता है उनको अर्पित करते हैं पूजा करने के बाद इस अनंत को भक्त अपने हाथों में बांध लेते हैं पूजा के दौरान भक्त व्रत कथा का पठान करते हैं और श्रवण भी करते हैं जो भक्त अनंत शतरुदर्शी का व्रत रखते हैं वह भगवान श्री विष्णु का पूजन करते हैं उन्हें कभी घर में सुख समृद्धि की कमी नहीं होती है उनका घर सुख समृद्धि और वैभव से भरा होता है

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अनंत चतुर्दशी 2024 पूजा मुहूर्त

अनंत चतुर्दशी का त्योहार 17 सितंबर को मनाया जाएगा। ज्योतिष पंचांग अनुसार लाभ चौघड़िया सुबह 10 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 15 मिनट तक। इस अवधि में आप पूजा कर सकते हैं।

अनंत चतुर्दशी व्रत कथा (Anant Chaudas Vrat Katha)

महाभारत काल में एक बार महाराज युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ किया था उसे समय यज्ञ का मंडप का निर्माण इतना सुंदर था और इतना ही अद्भुत था कि हर कोई उसे मंडप को देखकर  दन्ग रह जाता था उसे मंडप को देखकर ना तो हमें जल का पता चलता था नहीं थल का जल के स्थान पर थल दिखाता था और थल के स्थान पर जल दिखता था बहुत सावधानीपूर्वक किसी व्यक्ति को मंडप का सही दृश्य पता होता था

एक बार दुर्योधन यज्ञ मंडप में आ गए और उन्होंने तालाब को स्थल समझ कर उसमें गिर गए यह देखकर द्रोपती ने कहा कि अंधों की संतान आंधी यह कहकर द्रौपदी ने दुर्योधन का मजाक उड़ाया इस समय दुर्योधन के मन में यह बात लोहे की लकीर की तरह बैठ गई और बदले की भावना उत्पन्न हुई वह पांडवों और द्रौपदी से बदला लेने की ठान ली और पांडवों से बदला लेने के लिए पांडवों को दूध कीड़ा में हराकर उनका बदला लेने की सूची और उन्होंने पांडवों को ध्रुव कीड़ा में पराजित कर दिया पराजित होकर प्रतिज्ञा अनुसार पांडवों को 12 वर्ष का वनवास भोगना पड़ा

वन में रहते पांडवों ने कई प्रकार के कष्ट सहन करते रहे एक दिन भगवान कृष्ण जब पांडवों से मिलने के लिए आए तब युधिष्ठिर ने कहा कि हमें बहुत ज्यादा दुख है और दुख को दूर करने का उपाय बताइए तब श्री कृष्ण ने कहा हे युधिष्ठिर तुम अगर विधिपूर्वक अनंत भगवान का व्रत करते हैं तो तुम्हारा सारा संकट दूर हो जाएगा और तुम्हारा खोया हुआ राज्य तुम्हें वापस प्राप्त हो जाएगा

प्राचीन काल में सुमंत नाम का एक तपस्वी ब्राह्मण था उनकी पत्नी का नाम दीक्षा था उनकी एक परम सुंदरी धर्म प्रणय और ज्योति में कन्या थी जिसका नाम सुशीला था सुशीला जब बड़ी हुई तो उनकी माता दीक्षा की अकाल मृत्यु हो गई पत्नी के मरने के बाद सुमंत ने कर्कश नामक स्त्री से दूसरा विवाह किया और सुशीला का विवाह ब्राह्मण सुमंत ने कंटिन्यू ऋषि के साथ कर दिया विदाई के कुछ देने के बाद कर्कश आने दामाद को कुछ ईंटें और पात्रों के टुकड़े बांध दिए कंटिन्यू ऋषि बहुत दुखी हुए अपनी पत्नी को लेकर अपने आश्रम की ओर चल दिए परंतु रास्ते में ही रात हो गई थी और नदी के किरण किनारे वह ठहर गए

सुशील ने देखा कि कुछ सुंदर स्त्रियां सुंदर वस्त्र धारण करके किसी देवता की पूजा कर रही थी सुशीला के पूछने पर उन्होंने अनंत व्रत की महत्ता बताई सुशील ने वही उसे मृत का अनुष्ठान किया और 14 घाटों वाला डोर हाथ में बांधकर ऋषि के पास आ गई कंटिन्यू सुशीला के दौरे के बारे में पूछा तो उन्होंने सारी बात बता दी इससे कंटिन्यू ऋषि आग बबूला हो गए और गोरे को तोड़कर अग्नि में डाल दिया इससे भगवान अनंत का अपमान हुआ और कौन दुनिया ऋषि दुखी रहने लगे उनकी सारी संपत्ति नष्ट हो गई दरिद्रता का कारण पूछा तो सुशील ने अनंत भगवान का डोरा जलाने की बात कही

कंटीन्यूअस ऋषि पश्चाताप करने के लिए वन के और चले गए वन में कई दिनों तक भटकते भटकते निराश होकर वह जमीन पर गिर पड़े तब अनंत भगवान प्रकट होकर बोले है कंटिन्यू तुमने मेरा अपमान किया था इस वजह से तुम्हें यह कष्ट भोगना पड़ रहा है इसी वजह से तुम दुखी हो और तुम्हारी संपत्ति नष्ट हो गई तुमने अपने पापों का प्रायश्चित किया है मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूं अब तुम घर जाकर विधिपूर्वक अनंत व्रत करो तो तुम्हारा सारा दुख दूर हो जाएगा तुम वापस धन और धनिया से संपन्न हो जाओगे यह सुनकर कंटीन्यूअस इसी ने प्रभु का धन्यवाद किया और घर जाकर अनंत भगवान का उपासना की और विधिपूर्वक उनका व्रत किया श्री कृष्ण की आज्ञा के अनुसार युधिष्ठिर जी ने भी अनंत भगवान का व्रत किया जिसके परिणाम स्वरुप पांडवों को महाभारत युद्ध में विजय मिली और उनके राज्य वापिस उनको प्राप्त हुआ

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