Dr Sarvepalli Radhakrishnan ki Jivani | डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन

अंग्रेजों से जब हमारा हिंदुस्तान आजाद हुआ तब हमारे भारत देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ही बने थे (dr sarvepalli radhakrishnan ki jivani) इस प्रकार उन्होंने भारत के इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों से दर्ज कर दिया डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को दर्शनशास्त्र की काफी गहराई से अध्ययन किया हुआ था इसके द्वारा ही भारत दर्शनशास्त्र में पश्चिमी सोच की शुरुआत की गई थी डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक प्रसिद्ध अध्यापक भी थे इसी प्रकार उनकी याद में हर साल देश में 5 सितंबर के दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है अगर आपने ही स्कूल में पढ़ाई की होगी तो अपने अपने जीवन में कई बार स्कूल में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया होगा

dr sarvepalli radhakrishnan ki jivani
dr sarvepalli radhakrishnan ki jivani

जब कभी देश में शिक्षक दिवस का दिन आना होता है तो सबसे पहले डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को विशेष तौर पर याद किया जाता है 20वीं सदी के प्रसिद्ध विदानो में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की गिनती जरूर होती है जल्द ही देश में शिक्षक दिवस आने वाला है इससे कई लोग अपने गुरुजनों को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देंगे मेरी तरफ से भी शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का प्रारंभिक जीवन (Dr sarvepalli radhakrishnan ki jivani)

भारत के उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति जैसे महत्वपूर्ण पदों पर विराजमान रह चुके डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को किताबों से बचपन में ही काफी लगाव था इनके जन्म की तो साल 1881 में तमिलनाडु के तिरुत्तनी गांव के 5 सितंबर को राधा कृष्ण जी का जन्म हुआ था डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक साधारण फैमिली में जन्म लिया था उनका बचपन ज्यादातर समय अपने गांव में और तिरुपति जैसे धार्मिक स्थल के आसपास गुजरा था

बचपन में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को पढ़ाई से बहुत ज्यादा लगाव था इसी वजह से क्लास में होशियार बच्चों की गिनती में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का नाम जरूर होता था स्कूल की पढ़ाई के दौरान उन्होंने बाइबल के महत्वपूर्ण अंश को याद कर दिया था इसके लिए उनका विशेष योग्यता के द्वारा सम्मानित किया गया था

Also Read : Swami Vivekanand ka Jivan Parichay

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की शिक्षा (Dr Sarvepalli Radhakrishnan ki Education)

वर्ष 1909 में राधा कृष्ण ने मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र में प्रोफेसर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की इनके बाद वह मशहूर विश्वविद्यालय में भी दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में कार्यरत रहे ब्रिटिश शासन में एक बड़ी उपलब्धि थी जब एक भारतीय को यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर नियुक्त किया गया था बता दें उन्होंने लगभग 20 वर्षों तक अध्यापन का कार्य किया

इनके अलावा मद्रास के मौजूद क्रिश्चियन कॉलेज के द्वारा स्पेशल योग्यता के लिए स्कॉलरशिप दी गई थी साल 1916 में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने दर्शनशास्त्र में मां की डिग्री हासिल की थी और मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में इसी विषय के असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर उन्होंने काम शुरू किया

इसके बाद वर्ष 1926 में राधा कृष्ण ने भारत की ओर से अमेरिका के हर विश्वविद्यालय में इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस आफ फिलासफी में क्यू का प्रतिनिधित्व किया था उनके ज्ञान और प्रतिभा के कारण बाद में इंग्लैंड के विश्व विख्यात ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पूर्वी धर्म और नैतिकता की स्पेलिंग प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया था

वर्ष 1931 से 1936 तक राधा कृष्ण आंध्र विश्वविद्यालय के कुलपति रहे इसके कुछ वर्षों बाद 1939 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया गया जहां वर्ष 1948 तक कार्यरत रहे वही डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को ब्रिटिश शासन काल के सर की उत्पत्ति के द्वारा सम्मानित किया गया शिक्षा के क्षेत्र में  कार्यों और उपलब्धियां के कारण की हर वर्ष उनके नाम पर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का राजनीतिक जीवन (Political Life of Dr Sarvepalli Radhakrishnan)

भले ही डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के द्वारा अपना अधिकार जीवन एक शिक्षक के तौर पर वैवित करना पड़ा परंतु चित्र होने के साथ उन्होंने राजनीति में भी कहीं अपना अच्छा योगदान दिया उन्होंने 1950 से लेकर 1952 तक सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक के राजदूत का पद संभाला और आंखें कार्बो मौका आया जब उन्हें देश के महत्वपूर्ण पद पर विराजमान होने का मौका मिला

साल 1952 में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन हमारे देश के उपराष्ट्रपति बनने में सफल हुए कुछ साल बाल 1962 में उन्हें सर्व सम्मानित किस भारत का राष्ट्रपति भी चुन लिया गया हालांकि इस दौरान 1956 में देश का एक ऐसा पुरस्कार मिला प्राप्त हुआ जिन्हें अपने के लिए कामना हर व्यक्ति की होती है दर्शन हमारे देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के द्वारा देश के सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया गया एक और बड़ा पुरस्कार भी उन्हें मिला इस पुरस्कार का नाम था विश्व शांति पुरस्कार यह जर्मनी का बुक पब्लिकेशन पुरस्कार था

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का परिवार और उनका विवाह (Dr Sarvepalli Radhakrishnan Family Life and Marriage)

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के पिताजी का नाम सौरव अली रामास्वामी था उनके माता जी का नाम श्रीमती सीता झा था वह एक गरीब ब्राह्मण फैमिली में पैदा हुए थे उनके पिताजी धार्मिक पार्वती के व्यक्ति थे डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के चार भाई और एक छोटी बहन थी इस प्रकार उनके परिवार में टोटल 8 मेंबर थे हालांकि परिवार की कमाई बिल्कुल ही सीमित थी

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के समय मद्रास में बहुत ही कम उम्र के ब्राह्मण परिवारों का विवाह का चलन था ऐसे में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन भी इससे बच नहीं सके साल 1903 में सिर्फ 16 वर्ष की उम्र में ही इनका विवाह शिव का मुंह नाम की महिला के साथ संपन्न हुआ इस समय उनकी पत्नी की उम्र 10 साल थी उनकी पत्नी ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी इसके बावजूद उन्हें तेलुगू लैंग्वेज की अच्छी खासी जानकारी थी और वह अंग्रेजी भाषा भी लिख सकती थी और पढ़ सकती थी साल 1908 में राधा कृष्ण की दंपति में एक बेटी पैदा हुई

सर्वपल्ली राधाकृष्णन के विचार (dr sarvepalli radhakrishnan Quotes in Hindi)

जिंदगी को एक बुराई के तौर पर देखना और दुनिया को भ्रमित होकर के देखना गलत है

शिक्षक वह नहीं होता जो विद्यार्थियों के दिमाग में जानकारी को जबरदस्ती डालने का प्रयास करें बल्कि शिक्षक वह होता है जो चुनौतियों के लिए उन्हें तैयार करें

सनातन धर्म एक ऐसा धर्म है जो तर्क और अंदर से उत्पन्न होने वाली आवाज का समागम है जिसे सिर्फ महसूस कर सकते हैं इसे परिभाषित नहीं कर सकते

संस्कृति के बीज ब्रिज का निर्माण करने के लिए किताबों को माध्यम बनाया जा सकता है

पुस्तक पढ़ना हमें अकेले में विचार करने की एक सच्ची खुशी प्रदान करता है

सर्वपल्ली राधाकृष्णन के द्वारा लिखी गई किताबें (Book Written by Dr Sarvepalli Radhakrishnan)

स्पिरिट ऑफ़ रिलिजन 

द आइडियलिस्ट व्यू ऑफ लाइफ

रिलिजन एंड सोसाइटी

द फिलॉसोफी ऑफ़ हिंदूज्म 

ईस्टर्न रिलिजनस वेस्टर्न थॉट 

लिविंग विथ ए पर्पस 

Leave a Comment