दोस्तों स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय (Swami Vivekanand ka Jivan Parichay) को कौन नहीं जानता भारत के साथ-साथ संपूर्ण विश्व Swami Vivekanand ka Jivan Parichay ke बारे में भली भांति जानते हैं स्वामी विवेकानंद एक आध्यात्मिक पुरुष थे जिन्होंने भारत का डंका पूरे विश्व में सबसे पहले नंबर पर बजाया था स्वामी विवेकानंद का नाम आते ही हर भारतीय के दिमाग में एक बात जरूर आती है कि स्वामी विवेकानंद जी जो भी किताब को एक बार पढ़ लेते थे तो हमेशा वह किताब स्वामी विवेकानंद के दिमाग में छप जाती थी वह कभी भूलते नहीं थे इस बात की चर्चा हर किसी की पढ़ाई के दौरान कभी ना कभी जरूर होती है और ऐसा वाक्य में सच है कि स्वामी विवेकानंद जो भी किताब को पढ़ लेते थे उसकी एक-एक लाइन कौन से पेज नंबर पर है वह बहुत ही जल्द बता देते थे
स्वामी विवेकानंद का जन्म और बचपन (Swami Vivekanand ka Jivan Parichay)
दोस्तों स्वामी विवेकानंद का जन्म (Swami Vivekanand birth in hindi)12 जनवरी 1863 में कोलकाता के एक कायस्थ परिवार में हुआ था स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम नरेंद्र नाथ दत्त था स्वामी विवेकानंद जी के पिताजी का नाम विश्वनाथ उत्तर था वह कोलकाता के हाई कोर्ट में एक प्रसिद्ध वकील थे स्वामी विवेकानंद जी के माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था वह धार्मिक विचारों वाली महिला थी स्वामी विवेकानंद जी के दादा जी का नाम दुर्गा चरण था वह फारसी और संस्कृत के विधान माने जाते थे उन्होंने 25 वर्ष की आयु में सन्यास ग्रहण कर लिया था (swami vivekananda jivan parichay)
स्वामी विवेकानंद जी की शिक्षा (Swami Vivekanand Education in Hindi)
1871 में 8 साल की उम्र (Swami Vivekanand ka Jivan Parichay) में विवेकानंद जी का दाखिला ईश्वर चंद्र विद्यासागर के संस्थान में और बाद में कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में हुआ वह पश्चिमी दर्शन ईसाई धर्म और विज्ञान से परिचित हुए उन्हें वार्ड और गायन दोनों तरह के संगीत में रुचि थी वह खेल जन्माष्टमी कुश्ती और बॉडीबिल्डिंग में सक्रिय थे उन्हें पढ़ने का भी शौक था और जब वह उन्होंने कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की तब तक उन्होंने विभिन्न विषयों का व्यापक ज्ञान प्राप्त कर लिया था क्या आप जानते हैं कि एक तरफ उन्होंने मद भागवत गीता और उपनिषद जैसे हिंदू धर्म ग्रंथ पड़े और दूसरी तरफ डेविड यम और हरबर्ट स्पेंसर आदि द्वारा लिखे गए पश्चिमी दर्शन और आध्यात्मिक को पड़ा
राम कृष्ण परमहंस से मुलाकात (Swami Vivekanand ka Jivan Parichay)
1881 में 18 वर्ष की आयु में (swami vivekananda biography in hindi) स्वामी विवेकानंद की मुलाकात अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस से कोलकाता के निकट दक्षिणी स्वर में हुई विवेकानंद अपने गुरु के आध्यात्मिक करिश्मा और गहन ज्ञान से बहुत प्रभावित हुए और रामकृष्ण के शिष्य बन गए बड़े उत्साह के साथ उन्होंने खुद को रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाओं में महारत हासिल करने और उनका विस्तार करने के लिए समर्पित कर दिया उन्होंने हिंदू दर्शन और अन्य आध्यात्मिक सिद्धांतों के बारे में भी बहुत कुछ सीख फिर उन्होंने साथियों और अन्य धर्म के लोगों को उसका अर्थ समझने की कोशिश की रामकृष्ण परमहंस ने उन्हें बिना किसी स्वार्थ के आध्यात्मिक ज्ञान को प्राप्त करना सिखाए और इससे स्वामी विवेकानंद के जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन आया
स्वामी विवेकानंद का योगदान और महत्व (Swami Vivekanand ka Jivan Parichay and Importance)
स्वामी विवेकानंद ने अपने छोटे से जीवन काल में ऐसे कई कार्य किया जिससे हमारे देश की अनेकों पीडिया का मार्गदर्शन हो सकता है उनके जीवन में सबसे प्रसिद्ध घटना शिकागो की थी वह घटना अमेरिका के विश्व धर्म सम्मेलन की थी जहां वह हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व कर रहे थे जहां उनके भाषण की शुरुआत में ही वहां की पूरी जनता को मंत्र मुक्त कर दिया था जहां पहले उन्हें कोई सुना नहीं चाहता था उसे भाषण के शुरू होने के बाद पूरे हॉल में सिर्फ उनकी ही आवाज आ रही थी सभी उन्हें बहुत ध्यान से सुन रहे थे उन्होंने भाषण की शुरुआत में कहा था मेरी अमेरिकी भाइयों और बहनों यह भाषण दो घंटे से भी अधिक चल जहां उन्होंने हिंदू धर्म को विस्तार से समझाया
स्वामी विवेकानंद की मृत्यु (Swami Vivekanand Death in Hindi)
साल 1899 में अमेरिका से लौटते समय स्वामी विवेकानंद जी बहुत ज्यादा बीमार हो गए थे वह लगभग 3 साल तक बीमारियों से लड़ते रहे उसे समय तक स्वामी विवेकानंद की प्रस्तुति पूरे विश्व में भर चुकी थी लोग कहते थे कि अपनी जिंदगी की आखिरी दिन यानी 4 जुलाई 1902 को भी उन्होंने अपना ध्यान करने की दिनचर्या को नहीं बदला रोजाना की तरह सुबह 2 घंटे ध्यान में व्यस्त रहते थे और जाना अवस्था में ही उन्होंने माहा समाधि ली थी बेलूर में गंगा तट पर चंदन की चिंता पर उनकी अंत्येष्टि की गई थी जहां उनकी अंत्येष्टि हुई इस गंगा तट की दूसरी ओर उसके गुरु रामकृष्ण परमहंस का 16 वर्ष साल पहले अंतिम संस्कार हुआ था
स्वामी विवेकानंद के अनमोल वचन (Swami Vivekanand Quotes in Hindi)
उठो जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाता
जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते
एक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ
बाहरी स्वभाव के बाल अंदरूनी स्वभाव का बड़ा रूप है
विवेकानंद ने कहा था चिंतन करो चिंता नहीं तथा नए विचारों को जन्म दो
खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है